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एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुमने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना
मित्रो ! मेरा ये कारनामा याद है ? काको स्थित पंजाब नेशनल बैंक के अंदर और बाहर नोट बदलने के लिए लगी लम्बी कतारें, सुबह से शाम तक कतार में लगे रहे लोग ।
8 नवम्बर 2016 की रात प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 500 और 1000 रुपए के नोट इसलिए बंद किए हैं क्योंकि इससे-
1: देश में कैश काला धन बेकार हो जाएगा
2: रियल एस्टेट क्षेत्र में काले धन का इस्तेमाल रुक जाएगा
3: हवाला के जरिए पैसों के लेन देन पर रोक लगेगी
4: देशभर में फैल चुके जाली नोट पर रोक लगेगी
5: भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी में कमी आएगी
6: ड्रग्स-हथियार के कारोबार पर रोक लगेगी
7: आतंकवाद की फंडिंग पर असर पड़ेगा
नोटबंदी सफल रही या असफल यह कहना काफी मुश्किल है क्योंकि सरकार हर बार नोटबंदी के उद्देश्य को बदल-बदलकर बताती रही है. सरकार ने शुरू में यह कहा कि नोटबंदी इस वजह से की गई है क्योंकि लोगों ने कालाधन अपने घरों में छिपाकर रखा है. जब उन्होंने यह देखा कि पूरा पैसा वापस आने लगा है तो कहा गया कि यह डिजिटल और कैशलेस इकनॉमी को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया कदम है नोटबंदी एक चूहा पकड़ने के लिए पूरे घर में लगाई आग नोटबंदी का असल मकसद क्या था, यह आज तक हमें ठीक से पता नहीं है, 8 नवम्बर 2016 को नोट बंदी की घोषणा करते समय प्रधानमंत्री मोदी ने देश को सपने दिखाए थे की हर समस्या का हल नोट बंदी है. उन्होंने कहा था की केवल 50 दिन दे दीजिये, आपको आपके सपनो का भारत दे दूंगा.परन्तु क्या राष्ट्रहित के लिए उठाए इस कठोर कदम के बाद भारत कालाधन व भ्रष्टाचार से मुक्त हो पाएगा, यह एक विचारणीय प्रश्न है? यह भारत का दुर्भाग्य ही है कि, जहां एक ओर देश के नागरिक भ्रष्टाचार और कालेधन के विरोध में मोदी जी के समर्थन में उनके साथ खड़े दिखाई देते हैं, वहीं दूसरी ओर मौका मिलते ही भ्रष्टाचार एवं कालाधन एकत्र करने से बाज नहीं आते हैं। काश की प्रधानमंत्री मोदी ने 8 नवम्बर 2016 को परमाणु बम हाइड्रोजन बम जैसा कोई परीक्षण कर दुनियाँ को चकित कर दिया होता तो आज एक वर्ष बीतने पर विश्व समुदाय द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के दंश से अब तक देश ऊबर चुका होता। दुनियाँ हमारी सैन्य शक्ति का लोहा मानती चीन आंख न दिखाता पाकिस्तान औकात में रहता और पूरा देश मोदी के साहसिक कदम पर इतराता। प्रधानमंत्री जी ने देश की जनता से यही कहा था की आपने कांग्रेस को साठ साल दिए हैं मुझे सिर्फ 60 महीने दे दीजिए,प्रधानमंत्री जी अब आपके कार्यकाल की समीक्षा की जा सकती है,आपके पास खुद को साबित करने विकास पुरुष कहलाने के तमाम अवसर थे,लेकिन आपने उन सभी अवसरों को खो दिया है, आपने खुद को कब्रिस्तान,दिवाली,रमज़ान जैसे फिजूल के मुद्दों में उलझा लिया। अपनी सनकमिजाज़ी से अपने ही देश के लोगों का जनजीवन अस्तव्यस्त कर देना,गरीबों की नौकरियां छीन लेना मध्यमवर्ग को कालाधन वाला साबित कर देना और पूँजीपति कार्पोरेट्स के लिए एक अवसर देना। जी हाँ, नोटबन्दी जैसा विचित्र फैसला बिना अर्थशास्त्रियों की सलाह के ठीक वैसा ही कदम साबित हुआ जैसे किसी झोलाछाप डॉक्टर ने बिना समुचित तैयारी कर मेजर सर्जरी कर दी हो। नोटबन्दी से देश को क्या हासिल हुआ ? मोदी जी को इस विषय पर एक सार्वजनिक प्रेस कांफ्रेंस कर देश को इसके फायदे बताना चाहिए। और गुजरात चुनाव में नोटबन्दी और जीएसटी का क्रेडिट लेना चैये। लेना चैये की नई लेना चैये.भाइयों भैनो मैं आपसे पूछना चाहता हूँ, क्रेडिट लेना चैये की नई लेना चैये.
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